उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी इन दिनों काफी चर्चाओं में हैं। इसकी वजह है हाल ही में उनकी ओर से उत्तराखंड राज्य में लाया जाने वाला यूसीसी कानून यानि की समान नागरिकता कानून। यूसीसी का ड्राफ्ट लाने के बाद धामी ने हाल ही में अपने बयान में कहा था कि उत्तराखंड की जनता ने उन्हें इसी काम के लिए चुना था।
सीएम बनने से पहले पुष्कर सिंह धामी के नाम से शायद ही बहुत अधिक लोग परिचित हों। सीएम के रूप में धामी ने खासी लोकप्रियता हासिल की है। हालांकि पुष्कर सिंह धामी का सफर इतना आसान नहीं रहा है। बहुत कम लोग ही उनके शुरुआती दौर के बारे में जानते हैं। आज हम आपको सीएम धामी से जुड़ी खास बातों के बारे में बताएंगे। कैसे एक फौजी के घर में जन्म लेने वाले लड़के ने सीएम की कुर्सी तक का सफर तय किया।
पिथौरागढ़ के टुंडी गांव में हुआ जन्म:
पुष्कर सिंह धामी का जन्म 16 सितंबर, 1975 को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के गांव टुंडी में हुआ। पुष्कर सिंह धामी के पिता भारतीय सेना में सूबेदार के पद से रिटायर हुए। धामी भी कई बार कह चुके हैं कि वह शुरु से ही भारतीय सेना में जाना चाहते थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और धामी राजनीति में आ गए।
गांव टुंडी में ही पुष्कर सिंह धामी की पांचवी कक्षा तक पढ़ाई हुई। रिटायरमेंट के बाद उनके पिता ऊधम सिंह नगर जिले के खटीमा शहर में आ गए। खटीमा के नगरा तराई में वह रहने लगे। तब ही शायद किसी ने सोचा था कि धामी पहली बार इसी शहर से विधायक बनकर सदन में जाएंगे।
लखनऊ में भगत सिंह कोश्यारी को भा गए पुष्कर:
बहुत कम लोगों को पता है कि पुष्कर सिंह धामी लॉ ग्रेजुएट हैं। उन्होंने अपनी वकालत की पढ़ाई लखनऊ यूनिवर्सिटी से की है। इस दौरान वह छात्र राजनीति में काफी सक्रिय रहे। साल 1990 में धामी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे। पढ़ाई पूरी खत्म होने के बाद धामी पूरी तरह से भाजपा पार्टी में सक्रिय हो गए।
इस दौरान एक कार्यक्रम में उनकी मुलाकात महाराष्ट्र के पूर्व गर्वनर और उत्तराखंड के पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी से हुई। छात्रों के मंच पर धामी के भाषण ने कोश्यारी को काफी प्रभावित किया। इसके बाद कोश्यारी ने धामी को भाजपा युवा मोर्चा में सक्रिय होने को कहा।
कुछ समय बाद धामी भारतीय युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष बने। साल 2008 तक वह इस पद पर रहे। धामी आज भी पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। धामी की राजनीतिक क्षमता को देखते हुए भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हें अपना पॉलिटिकल एडवाइजर बना लिया।
साल 2012 में लड़ा पहला विधायकी का चुनाव:
बहुत कम समय में ही पुष्कर सिंह धामी ने अपना पार्टी में नाम बना लिया। साल 2012 में भारतीय जनता पार्टी ने धामी की काबिलियत पर भरोसा करते हुए उन्हें खटीमा विधानसभा सीट से टिकट दिया। धामी ने अपने करियर का पहला चुनाव जीत लिया। इसके बाद साल 2017 में वह दोबारा खटीमा विधानसभा सीट से जीतकर सदन में पहुंचे।
जब सीएम चेहरे के लिए धामी के नाम का हुआ ऐलान:
साल 2021 में जब उत्तराखंड की राजनीति में उथल पुथल हुई तो तीरथ सिंह रावत ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। इस दौरान चर्चाएं होने लगीं कि भाजपा किसी सीनियर लीडर को उत्तराखंड के नए सीएम के तौर पर जिम्मेदारी सौंपेगी। भाजपा के कई बड़े नेताओं के नाम सामने आ रहे थे।
अचानक से भाजपा की ओर से पुष्कर सिंह धामी के नाम पर मुहर लगा दी गई। धामी को दिल्ली बुलाकर पार्टी हाइकमान ने उन्हें बता दिया कि अब उत्तराखंड प्रदेश की बागडोर धामी संभालेंगे। इस तरह 3 जुलाई, 2021 को धामी ने उत्तराखंड के दसवें सीएम के रूप में शपथ ली।
खुद हार गए और पार्टी को जीता गए…
सीएम की शपथ लेने के बाद पुष्कर सिंह धामी के सामने दो बड़ी चुनौतियां थीं। एक पार्टी को एकजुट रखना तो दूसरी साल 2022 के चुनाव में भाजपा की सत्ता को बरकरार रखना। क्योंकि उत्तराखंड की राजनीति के इतिहास में हमेशा यह कहा गया कि यहां कोई भी पार्टी लगातार दो बार सरकार में नहीं रही। हर 5 साल में यहां सरकार बदल जाती है, लोग यह कहते रहे और ऐसा होता भी आया।
खैर, भाजपा ने साल 2022 का विधानसभा चुनाव सीएम धामी के नेतृत्व में लड़ा। भाजपा ने सारे मिथक तोड़ते हुए यहां दोबारा अपनी सरकार बनाई।
भाजपा ने इतनी मजबूती से चुनाव लड़ा कि पूर्व सीएम हरीश रावत लालकुआं से चुनाव हार गए। हालांकि खटीमा से धामी अपनी जीत बरकरार नहीं रख पाए। भुवन सिंह कापड़ी ने पुष्कर सिंह धामी को खटीमा से शिकस्त दी और पहली बार भुवन कापड़ी खटीमा के विधायक बने।
हार के बावजूद पार्टी ने धामी पर जताया भरोसा:
धामी जब खटीमा से चुनाव हारे तो चर्चाएं होने लगीं कि अब सीएम कोई और बनेगा। क्योंकि धामी चुनाव हार गए थे। लेकिन इस बीच भाजपा की ओर से कहा गया कि सीएम धामी को ही सीएम पद की जिम्मेदारी दी जाएगी। चूंकि 6 महीने के भीतर धामी को चुनाव जीतना था ताकि वह दोबारा सीएम पद की शपथ ले सकें।
ऐसे में चंपावत सीट से जीतने वाले भाजपा विधायक कैलाश गहतोड़ी ने पुष्कर सिंह धामी के लिए अपनी सीट छोड़ दी और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। चंपावत सीट पर दोबारा उपचुनाव हुए और यहां से भाजपा ने धामी को चुनाव लड़ाया। उपचुनाव में धामी ने जीत दर्ज कर दी। 3 जून, साल 2022 को धामी ने यह चुनाव जीत लिया। इस तरह धामी फिर उत्तराखंड के सीएम बन गए।