1 सितंबर साल 1994 में हुए खटीमा और मसूरी गोलीकांड की 29वीं बर्सी के दिन सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राज्य आंदोलनकारियों के बलिदान को श्रद्धांजलि देते हुए इस लड़ाई में शहीद होने वाले लोगों के आश्रितों तथा आंदोलन की लड़ाई में शामिल रहे आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा कर दी। जल्द ही इस 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ राज्य आंदोलनकारियों को मिलेगा।
बता दें कि लंबे समय से राज्य आंदोलनकारी क्षैतिज आरक्षण की मांग करते आ रहे थे। इसके लिए कई बार उन्होंने देश की राजधानी दिल्ली में भी धरना प्रदर्शन किए थे। 1 सितंबर, 2023 को कैबिनेट बैठक में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग पर अंतिम मुहर लगा दी।
स्कूल से लौटकर आंदोलन में हो जाते थे शामिल
खटीमा गंगा विहार कालोनी में रहने वाले राज्य आंदोलनकारी अमित कुमार पांडे इस घोषणा के बाद से भावुक हो गए। दैनिक जागरण से बात करते हुए अमित कुमार पांडे कहते हैं ” आज खटीमा और मसूरी गोलीकांड की बर्सी है, सही मायनों में आज के दिन ही राज्य आंदोलनकारियों के लिए सीएम धामी ने 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा करके उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी है।
अमित कुमार पांडे आगे कहते हैं कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन की लड़ाई के समय वह 10वीं कक्षा में थे। स्कूल से आकर वह धरना स्थल पर पहुंच जाते थे, यह सिलसिला कई दिनों तक जारी रहा। भावुत होते हुए आगे कहते हैं ” जो लोग इस लड़ाई में बलिदान दे गए, अब कम से कम उनके बच्चों को आरक्षण मिलेगा तो उनका आने वाला कल सुनहरा हो जाएगा”। अमित कहते हैं कि सरकारी नौकरी में जब 10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा तो जाहिर सी बात है ऐसे युवा भी उत्तराखंड के विकास में सहयोग देंगे, जिनके परिजनों ने राज्य आंदोलन की लड़ाई में अपनी कुर्बानी दी।
जब पुलिस ने अचानक से लोगों पर चला दी थी गोलियां
तारगंज रोड खटीमा निवासी एडवोकेट हरीश चंद्र जोशी बताते हैं ”1 सितंबर, 1994 का दिन था। करीब साढ़े 12 या 1 बजे दोपहर का समय रहा होगा। पुरानी तहसील के पास कोतवाली के सामने पुलिस ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।”
हरीश चंद्र जोशी कहते हैं कि फायरिंंग होते ही शांतिपूर्ण रूप से धरना दे रहे लोगों को वहां से जान बचाने के लिए भागना पड़ा। हरीश चंद्र जोशी बताते हैं कि पुलिस ने बर्बरता दिखाते हुए खटीमा की गलियों में घुसकर लोगों पर गोलियां चलाईं। इसमें उनके साथ लोग बलिदानी हो गए। हरीश कहते हैं कि इसके बाद कई दिन तक उन्होंने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर घायल हुए लोगों को अस्पताल पहुंचाया। पुलिस के खौफ के कारण लोगों ने घरों से बाहर निकलना बंद कर दिया था तब घर-घर जाकर राशन पहुंचाया।
उन्होंने बताया कि सीएम पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के राज्य आंदोलनकारी काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि अब सरकारी नौकरी में राज्य आंदोलनकारियों के बच्चों को इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि सीएम धामी खुद एक राज्य आंदोलनकारी हैं। इसलिए उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों की पीड़ा को ठीक से समझा।