प्रदेश में हुई भारी वर्षा के कारण विभिन्न जिलों में हुए नुकसान को लेकर कांग्रेस ने हमलावर रुख अपनाया हुआ है। इस कड़ी में बुधवार को कांग्रेस व निर्दल विधायक विधानसभा परिसर के प्रवेश द्वार तक ट्रेक्टर पर बैठकर पहुंचे। इसके बाद कांग्रेस के विधायकों ने सदन के मुख्यद्वार के बाहर धरना भी दिया। सदन के मुख्यद्वार के बाहर धरने पर बैठे कांग्रेसी विधायकों ने कहा कि प्रदेश में आपदा से भारी नुकसान हुआ है। वहीं सरकार की इसे ओर बेरुखी बनी हुई है। उन्होंने हरिद्वार जिले को आपदाग्रस्त घोषित करने, सभी किसानों का ऋण माफ करने, किसानों की बिजली मुफ्त करने, किसानों की खराब हुई फसलों का मुआवजा 12 हजार रुपये प्रति बीघा देने, सभी खराब फसलों का निरीक्षण करने और मुआवजे की राशि बढ़ाने की मांग की।
धरना देने वाले कांग्रेस विधायकों में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी, विक्रम सिंह नेगी, हरीश धामी, मनोज तिवारी, आदेश चौहान, फुरकान अहमद, ममता राकेश, अनुपमा रावत, रवि बहादुर, वीरेंद्र जाति व सुमित हृदयेश आदि शामिल थे। निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने भी किसानों को मुआवजा राशि देने और ऋण माफ करने की मांग की।
लोक ऋण अधिनियम को निरस्त करने का संकल्प पारित
देहरादून विधानसभा के मानसून सत्र में बुधवार को लोक ऋण अधिनियम-1944 के निरसन और सरकारी प्रतिभूति अधिनियम-2006 में संशोधन से संबंधित संकल्प पारित कर दिया गया। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 252 के अंतर्गत राज्य विधानमंडलों से संकल्प पारित करने की अपेक्षा की है। केंद्र सरकार ने व्यवसाय में आसानी, नागरिकों के लिए जीवन में आसानी और समाज के विभिन्न वर्गों में सुशासन को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं। अप्रचलित कानूनों को निरस्त करने और फिर से अधिनियमित करने को पुराने कानूनों की समीक्षा इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसी क्रम में लोक ऋण अधिनियम-1944 को निरस्त करने का प्रस्ताव केंद्र के स्तर पर विचाराधीन है। इसके लिए राज्य विधानमंडलों से संकल्प आना आवश्यक है। इस सबके दृष्टिगत विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने यह संकल्प प्रस्तुत किया।