Uttarakhand भारी वर्षा और भूस्खलन के कारण गंगोत्री और बदरीनाथ राजमार्ग भी बाधित होते रहे। अब भी जिले में दो राज्य मार्ग और 15 ग्रामीण मोटर मार्ग मलबा आने के कारण बंद हैं। यही नहीं जनपद के 120 गांवों में विद्युत लाइन और पोल क्षतिग्रस्त होने से कई दिन तक बिजली की आपूर्ति बाधित रही। अब भी दर्जनों गांवों में पेयजल व बिजली आपूर्ति और संचार सेवा बाधित है।
मानसून की वर्षा और भूस्खलन ने इस बार जनपद में खूब कहर बरपाया। इस दौरान जान-माल का व्यापक नुकसान हुआ। आपदा और वर्षाजनित हादसों में 10 व्यक्तियों की मौत हुई है, जबकि तीन लोग घायल हुए। इस दरमियान भूस्खलन के चलते 11 आवासीय भवन भी ध्वस्त हो गए, जबकि 75 भवन आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। इन भवनों में रहने वाले परिवारों ने फिलहाल सुरक्षित स्थानों पर शरण ले रखी है।
वर्षाकाल शुरू होने के बाद से अब तक टिहरी जिले में लगभग 10 गांवों में भूस्खलन की घटनाएं हो चुकी हैं। इन गांवों में 86 आवासीय भवन क्षतिग्रस्त हो जाने से 139 परिवार बेघर हो गए। इन परिवारों के लगभग 250 सदस्यों को सरकारी विद्यालयों और पंचायत घरों में रखा गया है।
भारी वर्षा और भूस्खलन के कारण गंगोत्री और बदरीनाथ राजमार्ग भी बाधित होते रहे। अब भी जिले में दो राज्य मार्ग और 15 ग्रामीण मोटर मार्ग मलबा आने के कारण बंद हैं। यही नहीं, जनपद के 120 गांवों में विद्युत लाइन और पोल क्षतिग्रस्त होने से कई दिन तक बिजली की आपूर्ति बाधित रही। अब भी दर्जनों गांवों में पेयजल व बिजली आपूर्ति और संचार सेवा बाधित है। सड़क अवरुद्ध होने से कई गांवों में ग्रामीणों को आवश्यक वस्तुओं के लिए भी भटकना पड़ा।
15.78 हेक्टेयर कृषि भूमि का नुकसान
जनपद में 15.78 हेक्टेयर कृषि भूमि का नुकसान हुआ है। इसके अलावा राजमा, चौलाई, मंडुवा, धान, टमाटर, पत्ता गोभी, ब्रोकली की फसल को भी 20 से 25 प्रतिशत नुकसान की आशंका है। खेत में पानी भरने से टमाटर, पत्ता गोभी, ब्रोकली की फसल बड़ी मात्रा में सड़ गई। भूस्खलन की घटनाओं में 103 मवेशियों की भी मौत हो गई।
अपर जिलाधिकारी, टिहरी गढ़वाल केके मिश्र का कहना है कि,
जिले में आपदा की दृष्टिगत तत्परता से कार्य किया गया। भूस्खलन से जिन भी मकानों को खतरा था उन सभी को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है। उनके रहने और खाने-पीने की व्यवस्था भी की गई है।