These five lakh cars will be banned on the roads of Delhi!
दिल्ली में बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल कार चला रहे हैं तो इन्हें छोड़ सार्वजनिक वाहनों में यात्रा करने की आदत डाल लें, क्योंकि जल्द ही दिल्ली में इन कारों पर प्रतिबंध लग सकता है। दिल्ली में ऐसी कुल पांच लाख कारें पंजीकृत हैं, जिनके लोग दिल्ली और NCR क्षेत्र के आवागमन करते हैं।
दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि प्रदूषण को रोकना हम सब की जिम्मेदारी है। वह कहते हैं ग्रेप को लागू करने के लिए पूरी योजना बनी हुई है, जैसे ही ग्रेप का तीसरा चरण लागू होता है, इन कारों पर प्रतिबंध लग जाएगा या इससे पहले भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है, क्योंकि दिल्ली मेें कुल होने वाले प्रदूषण में वाहनों की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत के करीब है। उन्हाेंने कहा कि वैसे अभी इस बारे में कोई फैसला नहीं हुआ है।
इन बसों पर लग चुका है प्रतिबंध (There is a ban on these buses)
दिल्ली में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को देखते हुए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता आयोग ने दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में इलेक्ट्रिक और सीएनजी से चलने वाले सार्वजनिक वाहनों को बढ़़ावा देने का निर्देश दिया है। इसके अलावा एक नवंबर से दिल्ली में केवल बीएस-6 श्रेणी वाली बसें ही दिल्ली में आ सकेंगी। इस बारे में भी राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता आयोग ने आदेश जारी कर दिए हैं।
दिल्ली में जिस तरह से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, इससे इस बात के संकेत आ रहे हैं कि इस बारे में जल्द ही बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल वाहनों पर फैसला लिया जा सकता है। पिछले साल दिल्ली में 30 अक्टूबर को ग्रेप-तीन लागू हुआ था, मगर इस बार यह इससे पहले ही लग सकता है।
क्या बोले अधिकारी ? (What did the officer say)
परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि हम लोग ग्रेप के अनुसार काम कर रहते हैं या सरकार की ओर से कोई निर्देश जारी होता है तो इस बारें में आदेश जारी किया जाएगा। वैसे उन्हाेंने कहा कि लोगों की परेशानी को देखते हुए सरकार वाहनों पर प्रतिबंध लगाने पर हिचकती है।
मगर प्रदूषण को रोकने के लिए अन्य कोई मजबूत रास्ता नहीं है तो इस पर प्रतिबंध लगाया जाना स्वाभाविक है। बता दें कि बीएस-3 पेट्रोल यानी एक अप्रैल 2010 से पहले के पेट्रोल वाहन और बीएस-4 डीजल के एक अप्रैल 2020 से पहले के पंजीकृत चार पहिया डीजल वाहन दिल्ली में नहीं चल पाएंगे।
क्या है बीएस मानक? (What is BS standard)
बीएस (भारत स्टेज) भारत सरकार द्वारा स्थापित उत्सर्जन मानक हैं जो मोटर वाहन के इंजनों द्वारा उत्सर्जित वायु प्रदूषकों की मात्रा का विनियमन करते हैं। मानकों और उनको लागू किए जाने की समयसीमा का निर्धारण पर्यावरण और वन मंत्रालय और जलवायु परिवर्तन के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किया जाता है। इन मानकों को पहली बार 2000 में लागू किया गया था। तब से लगातार मानदंडों को सख्त किया जा रहा है।
मानकों के लागू होने के पश्चात निर्मित सभी नए वाहनों के इंजन इन विनियमों के अनुरूप होना आवश्यक है।आसान भाषा में कहें तो बीएस मानक से वाहनों से होने वाले प्रदूषण का पता चलता है, इसके जरिए ही भारत सरकार गाड़ियों के इंजन से निकलने वाले धुएं से होने वाले प्रदूषण को रेगुलेट करती है।