Driven by tigers, they are creating havoc on Guldar Highway, so many attacks in one year…
उत्तराखंड में बाघों के खदेड़े गुलदारों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। चिंता की बात है कि नेशनल हाईवे पर एक साल में तीस से ज्यादा हमले हो चुके हैं। बाघों और गुलदारों की संख्या बढ़ने से मानव वन्यजीव संघर्ष भी बढ़ रहा है। जंगल से बाघों के खदेड़े गुलदार अब सड़क पर उत्पात मचाने लगे हैं।
कॉर्बेट नेशनल पार्क और नंधौर वन्यजीव अभयारण्य से लगे हाईवे और गांवों में पिछले एक साल में तेजी से बढ़े गुलदार के हमले इस बात की तस्दीक करते हैं। गांव, घरों में महिलाओं व बच्चों को निशाना बनाने वाले गुलदार हाईवे पर दोपहिया वाहन चालकों की जान लेने पर आमादा हैं।
जंगलात के अफसरों की मेहनत से कॉर्बेट नेशनल पार्क और नंधौर वन्यजीव अभयारण्य में बीते सालों में तेजी से बाघों की संख्या बढ़ी है। कॉर्बेट पार्क में वर्तमान में 260 और नंधौर में 36 से अधिक बाघ हैं। बाघों की संख्या बढ़ने से जंगल में गुलदारों की मुसीबत बढ़ गई है।
नंधौर वन्यजीव अभयारण्य से सटे हाईवे पर असर सबसे ज्यादा है। टनकपुर-चम्पावत एनएच पर सूखीढांग से आठवां मील तक दस किमी का क्षेत्र गुलदार के शिकार का मैदान बन गया है। इस साल 30 लोगों को गुलदार घायल कर चुका है। सभी घायल होने वाले दोपहिया वाहनों पर सवार थे।
कॉर्बेट में जंगल से खदेड़े गए गुलदार हाईवे पर तो नहीं लेकिन थारी, हल्दुआ, हिम्मतपुर गांवों में लोगों के लिए मुसीबत का कारण बन गए हैं। तीन साल में 60 लोग मरे, 30 गुलदार आदमखोर हुए हैं। इनमें 60 की जान गई है। विभाग 30 गुलदारों को आदमखोर घोषित कर मार गिराया है।
पिंजरे में नहीं फंस रहे शातिर गुलदारगुलदारों को पिंजरे में कैद करना वनकर्मियों के लिए मुसीबत बन गया है। चम्पावत में साल भर में 30 से अधिक लोगों पर हमले हुए हैं। बढ़ते हमलों को देख बूम रेंज के अधिकारियों ने यहां पर दस से अधिक बार पिंजरे तो लगाए लेकिन गुलदार नहीं फंस पाया।
वन विभाग ने घटनास्थल के करीब पिंजरे लगाए हैं, जबकि गुलदार की मूवमेंट आबादी की ओर दिखती है। गुलदार को कैद करने के लिए वन विभाग के अफसरों की जेब से हजारों रुपये का गोश्त इन पिंजरों में डाला जा चुका है।
गुलदार ट्रेंकुलाइज करने में छूटे पसीने
चम्पावत। टनकपुर-चम्पावत हाईवे पर आतंक का पर्याय बन चुके गुलदार को ट्रेंकुलाइज करना वन कर्मियों के लिए सिरदर्द बन गया है। हल्द्वानी और नैनीताल से आए ट्रेंकुलाइज स्पेशलिस्ट का दावा है कि शीघ्र गुलदार को पकड़ लिया जाएगा। बुधवार को पूर्व विधायक हेमेश खर्कवाल ने लोगों के साथ घटनास्थल का निरीक्षण किया।
यहां ग्रामीणों ने उन्हें बताया कि शाम ढलते ही गुलदार के आतंक सेचलना दूभर हो गया है। पूर्व विधायक ने फोन पर वन विभाग के अधिकारियों से बात की। एसडीओ नेहा चौधरी ने बताया कि हल्द्वानी से आए डॉ.आयुष उनियाल और नैनीताल के डॉ.हिमांशु पांगती गुलदार की लोकेशन खोज रहे हैं। एसडीओ का कहना है कि शीघ्र ही गुलदार को पकड़कर रानीबाग ले जाया जाएगा।
शाम छह से सात बजे के बीच सबसे ज्यादा खतरा
चम्पावत में बूम रेंज के वन क्षेत्राधिकारी गुलजार हुसैन ने बताया कि एनएच से गुजर रहे दोपहिया वाहनों पर ही गुलदार हमलावर हो रहा है। इसके हमला करने का समय शाम छह से सात बजे के आसपास है। गुलदार को पकड़ने के लिए वर्तमान में यहां तीन पिंजरे लगाए हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों को अंदेशा है कि गुलदार जब शारीरिक रूप से अस्वस्थ्य होते हैं या प्रजनन काल में हमलवार हो सकते हैं।
गुलदार की मूवमेंट बदलती रहती है। एक स्थान पर नहीं रहते। इंसानों पर हमले के कई कारण हो सकते हैं, शोध के बाद ही कुछ कहना सही होगा। लोगों को सावधान रहने की जरूरत है।