PM Modi’s ‘Mann Ki Baat’ changed destiny and fate
नीरज कुमार/बेगूसराय : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मन की बात’ की शुरुआत 3 अक्टूबर 2014 से हुई थी. यह कार्यक्रम न सिर्फ लोकप्रियता का रिकार्ड बना रहा है बल्कि यह लोगों में सकारात्मक सोच विकसित करने और उन्हें राष्ट्र निर्माण की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित भी कर रहा है. बिहार के बेगूसराय जिला के युवा किसान रामनरेश सिंह उर्फ तुको को भी इसी कार्यक्रम ने प्रेरित किया.
2020 में टीवी पर मन की बात कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने किसानों को फलदार पौधे लगाने पर मिलने वाले 75 फीसदी की सब्सिडी के बारे में जानकारी साझा किया था. इससे प्रेरित होकर रामनरेश ने पहली बार तो सब्सिडी के लालच में पपीता की बागवानी की, लेकिन आगे चलकर हुई अच्छी आमदनी ने इनका सोच बदल दिया और अपने सारे जमीन में पपीता की बागवानी शुरू कर दी.
तीन बीघा में कर रहे हैं पपीता की बागवानी (Papaya gardening is being done in three bighas)
बगूसराय जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर चेरिया बरियारपुर प्रखंड के किसान रामनरेश सिंह उर्फ तुको विक्रमपुर और श्रीपुर मौजे में अपने तीन बीघा में पपीता की बागवानी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि सरकारी सब्सिडी मिलने की वजह से एक बीघा पपीता की बागबानी में सालाना महज 25 से 30 हजार का खर्च आता है. इसके अलावा 12 कट्ठे में परवल की भी खेती कर रहे हैं.
परवल की खेती में सालाना 30 हजार का खर्च आता है. उन्होंने बताया कि एक बीघे में पपीता का करीब 1150 पेड़ तैयार कर सकते हैं. इस हिसाब से आप एक सीजन में एक हेक्टेयर पपीते की फसल से 400 क्विंटल पपीता उत्पादन कर सकते हैं. बाजार में इसकी कीमत 40 से 70 रुपए तक पहुंचती है.
परवल और पपीता से 5 लाख तक की कर रहे हैं आमदनी (Earning up to Rs 5 lakh from parwal and papaya)
किसान रामनरेश सिंह ने बताया कि तीन बीघा में पपीता की खेती में सलाना 75 हजार और 12 कट्ठा में डंडारी वैरायटी के परवल की खेती करने में 25 से 30 हजार खर्च आता है. तीन बीघा 12 कट्ठा में खेती करने पर एक लाख खर्च आता है.वहीं कमाई का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि तीन बीघा में पपीता की खेती से 4.50 हज़ार के आस-पास और परवल की खेती से 70 हज़ार से 1 लाख तक की आमदनी प्राप्त होती है.