Will the truth of the Nithari incident that happened 17 years ago be revealed?
प्रयागराज. देशभर को झकझोर रख देने वाले नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोषी मनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को बड़ी राहत दी है. अदालत ने दोनों को 14 मामलों में बरी करने का आदेश दिया है. बता दें कि सुरेंद्र कोली ने 12 मामलों में मिली फांसी की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी, जबकि मनिंदर सिंह पंढेर ने दो मामलों में मिली सजा के खिलाफ अर्जी दाखिल की थी.
आज से करीब 17 साल पहले 2006 में नोएडा के निठारी गांव स्थित डी-5 कोठी उस समय चर्चा में आई जब उसके भीतर नाले से मानव अंग मिले. दरअसल, कुछ महीने से इलाके के बच्चे गायब हो रहे थे. गांववाले बच्चों की गुमशुदगी की रिपोर्ट तो लिखवा रहे थे. लेकिन पुलिस के ढुलमुल रवैये से केस का खुलासा नहीं हो पा रहा था. लेकिन जब गांव वालों प्रदर्शन किया तो पुलिस एक्शन मोड में आई. सभी बच्चे डी-5 कोठी के आस-पास से ही गायब हुए थे.
पायल के लापता होने पर हुआ था खुलासा
मामले का खुलासा तब हुआ जब 7 मई 2006 को पायल नाम की लड़की गायब हो गई. वह रिक्शे से डी-5 कोठी में गई थी और रिक्शेवाले से कहकर गई थी कि वो बाहर आकर पैसे देगी. काफी देर तक जब वह नहीं आई तो रिक्शेवाले ने गेट खटखटाया तो सुरेंद्र कोली ने बताया कि वह चली गई है. रिक्शेवाले ने कहा था कि वह तब से बाहर ही खड़ा है, यहां से तो कोई नहीं निकला. इसके बाद पायल के लापता होने की बात उसके घरवालों को पता चली तो उन्होंने रिपोर्ट दर्ज करवाई. रिक्शेवाले के बयान के आधार पर पुलिस डी-5 कोठी में पहुंची जो पंजाब के कारोबारी मनिंदर सिंह पंढेर की थी और वह नौकर सुरेंद्र कोली के साथ रहता था.
मानव अंग हुए थे बरामद
इसके बाद पुलिस ने कोठी के अंदर से नरकंकाल मिलने शुरू हुए तो पूरे देश में हड़कंप मच गया. मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई. सीबीआई की तफ्तीश में कोठी के बगल के नाले से 40 पैकेट्स में मानव अंग बरामद हुए. जिसके बाद मनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर को गिरफ्तार किया गया. इस खुलासे के बाद इलाके में कई तरह की चर्चाएं सामने आई. कहा गया कि पंढेर नेक्रोफिलिया नाम के रोग से ग्रसित था और वह बच्चों की तरफ आकर्षित होता था. इसके लिए उसका नौकर बच्चों को अगवा कर कोठी में लाता था.
‘नर पिशाच’ की बात भी आई सामने
कहा यह भी गया कि मनिंदर सिंह पंढेर बच्चों को शिकार बनाता था. उसके बाद सुरेंद्र कोली उनकी हत्या कर उन्हें पकाकर खाता था. यह भी कहा गया कि अगवा की गई बच्चियों से रेप भी किया गया. फिर उनकी हत्या कर अंग पैकेट्स में भरकर नाले में फंक दिया गया. इसके बाद एक थ्योरी यह भी आई की पंढेर के घर से मानव अंग की तस्करी की जाती थी. इन सभी कयासों के बीच गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट में सुनवाई चलती रही. कोर्ट में सीबीआई की तरफ से दर्ज 16 मामले पर सुनवाई हुई. 14 मामलों में सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा हुई, जबकि पंढेर के खिलाफ 6 मामले दर्ज थे, जिनमें से 3 मामले में उसे फांसी की सजा हुई थी. हालांकि बाद में वह दो मामलों में बरी हो गया था.
आखिर क्या है निठारी कांड का सच और कहां गए लापता बच्चे
अब जब हाई कोर्ट ने दोनों दोषियों को बरी कर दिया है तो सवाल यह उठ रहा है कि फिर निठारी कांड का सच क्या था? दर्जनों लापता बच्चे कहां गए? जो मानव अंग मिले थे वे किसके थे. क्या इन सवालों का जवाब मिल पाएगा?