Yogendra once used to wash teacups, now earns Rs 20 lakh a day.
पीयूष पाठक/अलवर.लंदन में गूगल की तरफ से होने वाली गूगल प्रोडक्ट एक्सपर्ट समिट 2023 में अलवर का एक युवा यूट्यूबर न केवल भारत का बल्कि अलवर का भी लंदन की धरती पर परचम फहराएगा. 19 अक्टूबर तक होने वाली इस समिट में 60 से ज्यादा देश हिस्सा ले रहे हैं. इसमें अलवर के रहने वाले योगेंद्र सैनी भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. योगेंद्र यू3-ट्यूब के पहले ऑफिशियल वीडियो कंट्रीब्यूटर भी जिन्हें इस समिट में जाने का सुनहरा मौका मिला है.
इस समिट में इंटरनेट की दुनिया में भविष्य में संभावना, बदलाव और एआई जैसे विषयों पर मंथन किया जाएगा. राजस्थान के अलवर शहर के युवा योगेंद्र सैनी आज पहचान के मोहताज नहीं है. सोशल मीडिया पर योगेंद्र सैनी ‘टेक्निकल योगी’ के नाम से फेमस है और 2 मिलियन (20 लाख) से भी ज्यादा लोग इन्हें फॉलो करते है.
2016 में सोशल मीडिया में रखा कदम
एक दोस्त की सलाह पर दिसंबर 2016 में योगेंद्र सैनी ने ‘टेक्निकल योगी’ नाम से यू-ट्यूब चैनल बनाया और इलेक्ट्रोनिक गैजेट पर वीडियो बनाए. 8 महीने बाद पहली बार आठ हजार रुपए मिले जिससे उत्साह बढ़ा.अच्छा दिखने के लिए 5 रुपए का चार्ट पेपर लाकर दीवार पर चिपकाया तो कभी दूसरों के घर जाकर वीडियो बनाएं. एक दिन एक वीडियो पर यू-ट्यूब की तरफ से कॉपीराइट आया तो उन्होने इसके बारे में कई लोगों से पूछा और कई वीडियो सर्च किए लेकिन कहीं से भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो फिर यू-ट्यूब की ऑफिशियल पॉलिसी पढ़ी और इसके बारे में ही वीडियो बनाने का सोचा और लोगों को इस तरह के इंफोर्मेटिव वीडियो बनाना शुरु किया और लोगों को सीखाना शुरू कर दिया.
साल 2018 में यू-ट्यूब की ओर से सिल्वर प्ले अवॉर्ड मिला वहीं 2020 में गोल्ड प्ले अवॉर्ड से योगेंद्र सैनी को नवाजा गया. इसके साथ ही कई और भी पुरस्कार मिल चुके है. जनवरी 2021 में प्रोडेक्ट एक्सपर्ट औऱ यू-ट्यूब वीडियो कंट्रीब्यूटर के रुप में यू-ट्यूब की ओर से चुना गया.
चाय की टपरी पर धोए कप-प्लेट
योगेंद्र के मुताबिक, जब वो छोटे थे तो उनके पिताजी का देहांत हो गया था. घर की सारी जिम्मेदारी बड़े होने के नाते उन पर ही आ गई. घर में खाने के लिए भी पैसे नहीं थे. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने चाय की थड़ी पर कप प्लेट धोने का काम किया. जब एक महीने काम करने के बाद दुकानदार ने कहा कि अब रोजाना 10 रुपए मिलेंगे तो उन्होने काम छोड़ दिया और अखबार बांटने का काम शुरू कर दिया. ये भी आसान नहीं था.
योगेंद्र सैनी 20 किलोमीटर दूर साइकिल से अखबार बांटने जाया करते थे. इसमें बहुत कम पैसे मिला करते थे तो उन्होंने तेल मिल में काम करना शुरू किया और फिर मील में काम करते-करते साथ में पढ़ाई भी शुरु की.